Wednesday, June 3, 2009

समय के हस्ताक्छर

पता नहीं क्यूँ मुझे ये ख्याल आता है की जो हम बोते हैं वही काट ते हैं...मसलन अभी का ही ताज़ा समाचार उठा लीजिये । हर चैनल हर अखबार इस ख़बर से पता है की पाकिस्तान में हफीज सईद को रिहा कर दिया गया...हमारे देश का हर अख़बार चिल्ला चिल्ला कर, हर चैनल शोर मचा कर और हर वह सख्स जो आतंकवाद के खिलाफ होने का दिखावा करता है , यह दर्शाना चाहता है की पाकिस्तान सीरियस नही है आतंक के खिलाफ लारने को...मैं भी यही मानता हूँ....पर उनकी सोच और मेरी सोच में एक अन्तर है वोह ये की मैं ये भी मानता हूँ की हमारे देश में भी आतंक से लारने वाले सिर्फ़ दिखावा करते हैं , पैर सच में वो भी गंभीर नही....वरना संसद पर आक्रमण के साजिश करता जिसे सर्वोच्च न्यायलय ने फांसी की सजा दी उसे भारत सरकार फांसी पे लटका क्यूँ नही रही.....इतने दिनों बाद भी .....क्या भारत सरकार सच में गंभीर है?...अपने भीटर झांकिए और सवाल का जवाब पाइए।
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सारे लोग परेशान हैं की ऑस्ट्रेलिया में भारतीय विद्यार्थियों को मारा पीटा जा रहा है.....भाई परेशान होने की क्या बात है....उन्होंने ये सब हमसे ही तो सीखा है....यहाँ मुंबई में बिहारी विद्यार्थियों को जब पीटा गया तो किसी चैनल या अखबार वाले या राज नेता को दर्द नही हुआ....क्यूँ भाई,आख़िर ऑस्ट्रेलिया वालों को हमने ही तो सिखाया की हम एक नही अनेक हैं.....

1 comment:

  1. सहमत हूँ।
    घुघूती बासूती

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